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शुक्रवार, अगस्त 25, 2023

तकलीफ़

एक बेटी की तकलीफ़, जब माता पिता अपनी उम्र के साथ साथ, कमज़ोर होते शरीर की जाने कितनी तकलीफें झेलते हैं।  कभी कभी उन्हें इन सब के टेल दबते हुए , मजबूर और असहाय देखती है तो बेटियों को तसल्ली इसी तरह से दे सकती हूँ -   

दिल की बात

है ये वक़्त वक़्त की बात।

तुम्हारे भी कहाँ पहले से हालात ?

कि पलक झपकते ही पहुँच जाओ उनके पास

ढूढ़ती तो तुम भी होगी,

कहीं से कोई डॉक्टर फरिश्ता बन आए,

और हल करदे उनकी ये मुश्किलात।

किसे कहें , कौन समझेगा ?

कितना मुश्किल है, संभालना ये जज़्बात।

                            . . . नवनीत गोस्वामी 

Dil ki baat . . . Hai ye vaqt vaqt ki baat. . . !

Tumhare bhi Kahan rahe pahle se halaat ?

Jo palak jhapakte pahunch jaaye, dene unka saath !
Doondhti to tum bhi hogi,
kahin se koi doctor, farishta aa jaye saamne tere.
aur hal karde unki ye mushkilaat !
Koi nahi samajh sakta,
kitna mushkil hai sambhalna ye jazbaat!!

बुधवार, अगस्त 23, 2023

चंद्रयान - 3 की चाँद के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक landing

 Congratulations team ISRO ! 

Congratulations our Scientists Unnikrishnan Nair S, Director, Vikram Sarabhai Space Center, Thiruvananthapuram,

Veeramuthuvel P, Project Director, Chandrayaan-3 mission, UR Rao Satellite Center, Bengaluru

Kalpana K, Deputy Project Director, Chandrayaan-3 mission, UR Rao Satellite Center, Bengaluru

M Sankaran, Director, UR Rao Satellite Center, Bengaluru

 and their entire team .  CONGRATULATION ! चंद्रयान - 3 की चाँद के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक landing पर ISRO और देशवासियों को बहुत बहुत बधाई। 

इस बार चन्द्रमा का दक्षिणी ध्रुव क्यू चुना गया ? उसका एक कारण है। चन्द्रमा का दक्षिणी ध्रुव सूर्य के सामने नहीं है, उस तरफ कभी सूर्य का प्रकाश नहीं पड़ा।  तो वैज्ञानिकों का मानना है कि चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी मिलने की सम्भावना है। 

why South Pole of Moon?
The south pole of the Moon holds special promise in the search for water ice. The surface area that remains in permanent shadow there is huge, The sun never shines on this part of Moon and scientists say it means there is a possibility of water in these areas.
that's the reason its important event in space mission.
No photo description available.

चंद्रयान-3

 
14 जुलाई को भरी उड़ान,

बनेगा आज एक कीर्तिमान,

जब चाँद पे उतरेगा "चंद्रयान"


दुआ में हर पल एक ही बात,

"landing" में हो ना कोई समस्या।।

वैज्ञानिक हमारे तपस्वी जैसे,

होगी सफल उनकी तपस्या।।

नाज़ करेगा हिन्दुस्तान। 

जब चाँद पे उतरेगा "चंद्रयान"।।


चाँद पे जो तिरंगा लहराता,

इसका पूरा श्रेय उन्हीं को जाता।।

इस से एक बात स्पष्ट हो जाती,

शिक्षा ही देश को शीर्षस्थ बनाती,

शिक्षा से ही सबका उत्थान।।

बनेगा आज एक कीर्तिमान,

जब चाँद पे उतरेगा "चंद्रयान"।।

 

शून्य से उस अंतरिक्ष तक 

खेतों से उस फ़लक तलक।

भारत बना "भाग्य - विधाता"। 

युगोंपरान्त भी विश्व गाएगा गाथा।

चहुँ ओर होंगे गुनगान,

जब चाँद पे उतरेगा "चंद्रयान"।।

 

                             . . . नवनीत गोस्वामी  (23 /08 /2023 )

                            "जय जवान,जय किसान और जय विज्ञान", और झूठे वादों से सावधान।।






चित अंदर अंदर डरदा है

 

चित अंदर अंदर डरदा है 

कल्ले ठंडिया आहाँ भरदा है 


कातो आ शो - शा लायी है ?

अह्नु कहन्दे वेख - वाखायी है 

इस विखावे च जीवन मुकदा है 

चित अंदर अंदर डरदा है। 

कल्ले ठंडिया आहाँ भरदा है 


आपणेया नाल ता लगियां लाग, 

वखरी ढपली , ते वखरे राग। 

क्यूँ दिलां च वैर पया भरदा है, 

चित अंदर अंदर डरदा  है,

कल्ले ठंडिया आहाँ भरदा है। 


उस रब दा प्यारा बच्चा सी 

दस किस वेले तू सच्चा सी ?

बस "मैं - मैं" पुगाई जाना हैं 

ते कहंदा है "सब ते मरदा है"

 चित अंदर अंदर डरदा  है,

कल्ले ठंडिया आहाँ भरदा है। 


                        . . . नवनीत गोस्वामी (21/08/2023 )


                

मंगलवार, जुलाई 25, 2023

प्रश्न

 नमस्कार ! सोचा तो नहीं था कि कविताओं से हटकर सामाजिक मुद्दों के बारे में अपने विचार व्यक्त करुँगी , मगर दिल बहुत आहत है | मणिपुर, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, हैदराबाद या भारत का कोई राज्य जहाँ पर भी महिलाओ, बच्चों निम्न वर्ग के लोगो पर जो निर्मम, असहनीय उत्पीड़न हो रहा है उसे देख मन आहत है  | जिन लोगो के हाथ में जिम्मा सौंपा था, उनसे प्रश्न करें तो, तत्कालीन परिस्थिति के बारे में कोई संज्ञान लेने की बात नहीं करेंगे , उल्टा प्रश्न करने वाले से पुराना  बही खाता खोल कर अन्य प्रश्न पूछे जाते है | यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर मै कभी कविता लिखना नहीं चाहूंगी। ये पंक्तिया भी कभी ऐसा ही कोई वाकिया सुन कर, खिन्न हो कर, आक्रोश में लिखी थीं | पता नहीं था फिर से मष्तिष्क में गूंजने लगेगी। 

है प्रश्न मेरा उन संस्कारों से,
समाज के ठेकेदारों से,
धर्म के उन सरदारों से,
क्यों अख़बार भरा चित्कारों से ?
क्यों डर लगता है अंधियारों से ?
क्यों रह गयी बेटी नारों में ?
समाज मेहरबां गुनहगारों पे !
और सन्नाटा ! सत्ता के गलियारों में !
. . . नवनीत गोस्वामी
                    (4th जनवरी 2021)



सोमवार, जुलाई 24, 2023

कुछ बात अलग है मेरे यारों की, धरती माँ के राज दुलारों की !


कुछ बात अलग  है मेरे यारों की,

धरती माँ के राज दुलारों की !


माँ की चूनर बेदाग़ रहे और पाक रहे,

उन सजग बलशाली पहरेदारों की !

कुछ बात अलग  है मेरे यारों की,

धरती माँ के राज दुलारों की !


हँसते हँसते जो बलिदान हुए 

भारत माँ के उन दिलदारों की !

कुछ बात अलग  है मेरे यारों की,

धरती माँ के राज दुलारों की !


नवनीत गोस्वामी 

26 जुलाई 2023  

(कारगिल  दिवस)





बुधवार, जून 28, 2023

किरदार

 जब कोई बुरा कहे तुमसे,

जब कोई भला न कह सके तुमसे

जब किसी को लगी चोट भी हो तुम्हारे जिम्मे।

तब भी रहना तुम अपने ही किरदार में।

 

सब्र से रहना ।

हो सके तो उस पल चुप रहना । 

क्योंकि मां बाप ने मुश्किलों से ढाला है तुम्हें इस सांचे में,

उनकी तरबियत को ऐसे ना भुलाना ।

अदब के इस सांचे को किसी अग्नि में न गलाना ।


किसी ने भरोसा कर के सौंपा है ये किरदार तुम्हें,

इक तुम्हें ही बखूबी समझना होगा इसको।

क्योंकि जो रहा ईमानी अपने किरदार से

 बड़े ही प्यार से पलकों पर भी बैठाया गया उनको।।


उस शख्स की भी रही होगी कोई मजबूरी

सब्र ने दिल से रख ली होगी दूरी।

परेशां वो भी बराबर हो रहा होगा।

या तो बिलकुल भी नहीं ,या बहुत सोचता होगा।


जीवन ये हमारा बस गणित के सूत्रों जैसा

छोटी छोटी यादों को जमा करने जैसा।

परिस्थितियां तो भाजक बनकर आती है 

शून्य तक कुछ न कुछ घटाती जाती है।

इसके लिए अपना चरित्र ही इतना बड़ा बना ले

की भाजक भले ही कितना बांटे

वो शून्य थोड़े विराम से आए।

क्योंकि अंत तो शून्य ही है,

उस शून्य से भला हम क्यों घबराए ?

सोमवार, जून 05, 2023

चुनौतियों से क्यों डरें ?

चुनौतियों से क्यों डरें ?  

खुद में बस दम भरें। 

जीवन है तो संघर्ष है 

तो भय दिलों में क्यों भरें ?

मुसीबतें जो आयें गर 

मुसीबतों से क्यों डरें ?

विशाल झुण्ड देख कर,

क्या बाज काग से डरे  ?

वो मापता ऊँचाइयाँ 

उड़े वो बादलों के परे।  

चुनौतियाँ ! बैल सी विशालतम  

किन्तु ! परबतों से छोटी हैं। 

जिसके मन दृढ़शक्ति हो ,

नवनीत ! जीत उसी की होती है। 

हर पल हेतु तत्पर रहे,

भुजाओं में ये बल रहे 

आज से अधिक रहे,

पल सुख का हो या दुःख का हो,

हर पल पे  तेरा स्वामित्व रहे। 

               नवनीत / 5 जून 2023 


रविवार, जून 04, 2023

हमारी प्रकृति

 नीला अम्बर , श्वेत  से बादल 

सुरमई सा जैसे, पहना हो काजल। 

बलखाती, गहरी, शांत सी नदिया
तीरों पर जीवन संचारित किया।

नील गगन का प्रतिबिम्ब  झलकता 

जैसे विशाल सा दर्पण रखा हो उल्टा। 

प्रकृति के आँचल में, रंग बिरंगी फुलवारी,

जैसे बड़े प्यार से कढी किसी ने फुलकारी। 


सीमा के प्रहरी 


दिन हो या रात हो 

हर पल सजग हो 

हम प्रहरी है सीमा के 

हम रक्षक धरती माँ के 

तान के आपने सीना,

खोल के अपनी आँखे

करदें छलनी उसको 

जो मेरी सीमा में झाँके। 

ऊँची पगड़ी, मूंछो को ताव,

भले हों तन पर लाखों घाव। 

                      नवनीत / 4 जून 2023 



शनिवार, जून 03, 2023

मायका

 

बहुत दिनों के बाद है आयी,
बिटिया अपने गांव 
बिन AC के मिली है ठंडक 
जब मिली पीपल की छाँव  
ये टेढी - मेढी  पगडंडी 
घर को सीधी जाती है,
कुछ सूरतें जानी पहचानी 
माई को खबर पहुचाती  है। 
माँ का घर, जैसे जन्नत,
इस पल के रुक जाने की, मांगू सदा मैं मन्नत।
माई के घर आते ही
बचपन फिर से लौट आता,
चेहरे पर मुस्कान विचरती 
और गम चौखट पर ही रह जाता। 
लाड दुलार चहुँ ओर बरसता 
उदासियों का यहाँ कोई ज़ोर ना चलता। 
दादी बालों को सहलाती 
कई सीख सयानी बतलाती। 
कभी कहानी सुनती वो मेरी 
और कभी अपनी बात बताती हैं। 
माँ के घर में हँसी, ठिठोली और ठहाके 
माँ - बेटी करती दुःख अपने सांझे। 
जब भी बिटिया आती मायके। 

नवनीत / ०२ जून 




बड़े बड़े खलिहान