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बुधवार, जून 28, 2023

किरदार

 जब कोई बुरा कहे तुमसे,

जब कोई भला न कह सके तुमसे

जब किसी को लगी चोट भी हो तुम्हारे जिम्मे।

तब भी रहना तुम अपने ही किरदार में।

 

सब्र से रहना ।

हो सके तो उस पल चुप रहना । 

क्योंकि मां बाप ने मुश्किलों से ढाला है तुम्हें इस सांचे में,

उनकी तरबियत को ऐसे ना भुलाना ।

अदब के इस सांचे को किसी अग्नि में न गलाना ।


किसी ने भरोसा कर के सौंपा है ये किरदार तुम्हें,

इक तुम्हें ही बखूबी समझना होगा इसको।

क्योंकि जो रहा ईमानी अपने किरदार से

 बड़े ही प्यार से पलकों पर भी बैठाया गया उनको।।


उस शख्स की भी रही होगी कोई मजबूरी

सब्र ने दिल से रख ली होगी दूरी।

परेशां वो भी बराबर हो रहा होगा।

या तो बिलकुल भी नहीं ,या बहुत सोचता होगा।


जीवन ये हमारा बस गणित के सूत्रों जैसा

छोटी छोटी यादों को जमा करने जैसा।

परिस्थितियां तो भाजक बनकर आती है 

शून्य तक कुछ न कुछ घटाती जाती है।

इसके लिए अपना चरित्र ही इतना बड़ा बना ले

की भाजक भले ही कितना बांटे

वो शून्य थोड़े विराम से आए।

क्योंकि अंत तो शून्य ही है,

उस शून्य से भला हम क्यों घबराए ?

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