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मंगलवार, जुलाई 25, 2023

प्रश्न

 नमस्कार ! सोचा तो नहीं था कि कविताओं से हटकर सामाजिक मुद्दों के बारे में अपने विचार व्यक्त करुँगी , मगर दिल बहुत आहत है | मणिपुर, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, हैदराबाद या भारत का कोई राज्य जहाँ पर भी महिलाओ, बच्चों निम्न वर्ग के लोगो पर जो निर्मम, असहनीय उत्पीड़न हो रहा है उसे देख मन आहत है  | जिन लोगो के हाथ में जिम्मा सौंपा था, उनसे प्रश्न करें तो, तत्कालीन परिस्थिति के बारे में कोई संज्ञान लेने की बात नहीं करेंगे , उल्टा प्रश्न करने वाले से पुराना  बही खाता खोल कर अन्य प्रश्न पूछे जाते है | यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर मै कभी कविता लिखना नहीं चाहूंगी। ये पंक्तिया भी कभी ऐसा ही कोई वाकिया सुन कर, खिन्न हो कर, आक्रोश में लिखी थीं | पता नहीं था फिर से मष्तिष्क में गूंजने लगेगी। 

है प्रश्न मेरा उन संस्कारों से,
समाज के ठेकेदारों से,
धर्म के उन सरदारों से,
क्यों अख़बार भरा चित्कारों से ?
क्यों डर लगता है अंधियारों से ?
क्यों रह गयी बेटी नारों में ?
समाज मेहरबां गुनहगारों पे !
और सन्नाटा ! सत्ता के गलियारों में !
. . . नवनीत गोस्वामी
                    (4th जनवरी 2021)



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