मायका
बहुत दिनों के बाद है आयी,
बिटिया अपने गांव
बिन AC के मिली है ठंडक
जब मिली पीपल की छाँव
ये टेढी - मेढी पगडंडी
घर को सीधी जाती है,
कुछ सूरतें जानी पहचानी
माई को खबर पहुचाती है।
माँ का घर, जैसे जन्नत,
इस पल के रुक जाने की, मांगू सदा मैं मन्नत।
माई के घर आते ही
बचपन फिर से लौट आता,
चेहरे पर मुस्कान विचरती
और गम चौखट पर ही रह जाता।
लाड दुलार चहुँ ओर बरसता
उदासियों का यहाँ कोई ज़ोर ना चलता।
दादी बालों को सहलाती
कई सीख सयानी बतलाती।
कभी कहानी सुनती वो मेरी
और कभी अपनी बात बताती हैं।
माँ के घर में हँसी, ठिठोली और ठहाके
माँ - बेटी करती दुःख अपने सांझे।
जब भी बिटिया आती मायके।
नवनीत / ०२ जून
बड़े बड़े खलिहान
हर पल खुश रहो
ReplyDeleteThank you !
ReplyDelete