जिंदगी क्या बताएगी हमें,
क्या है जीने का फ़लसफ़ा
हासिल करने को अभी ,
कई मुक़ाम बाकी है !
अभी तो बस पंख फडफ़ड़ाएं है
नापने को सारा आसमान बाकी है ! !
..... नवनीत
कविता लिखना - अभिव्यक्ति का दूसरा नाम है और इस ब्लॉग पर आपको पक्का देखने को मिलेगी। जो बात हमारे अंतर्मन को छू जाए, चाहे वो किसी भी तरीके से व्यक्त कि गयी हो, बस वही "perfect way of expression " है। हम नवरस के बारे मे तो जानते है : यथो हस्त तथो दृष्टि - जहाँ हाथ, वहां दृष्टि ! यथो दृष्टि तथो मनः - जहाँ दृष्टि ,वहां मन/मष्तिष्क ! यथो मनः तथो भाव - जहाँ मन/मष्तिष्क वहां भाव (inner feelings )! यथो भाव तथो रस - जहाँ भाव होगा , वहां ऱस ! इस ब्लॉग पर आप इन सब तरह के भावों से मुखातिब होंगे।
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हिन्दू मुस्लिम करते करते ,
बाँट दिया संसार को !
जो बचपन में सीखा करते ,
भुला दिया हर बात को !
"सर्व धर्म सदभाव " नहीं दिलों में ,
ना समझे कोई जज़्बात को !
मूरत की चाहत में मारा,
अपने भीतर के इंसान को !
दिखने में सब मानुष ही लगते ,
पर अंदर बारूद का गोला है।
एक धर्म खतरे में है ,
ऐसा "किसी" ने बोला है।
आज सुरक्षा का हमको ,
नया मापदण्ड बतलाया।
बाकी कमतर , हम बेहतर हैं,
ऐसा भी हमको सिखलाया।
दाव पे है उसकी जान ,
जो "जय श्री राम " ना बोला है !
तिलक है श्रद्धा , तुच्छ है टोपी,
सब धर्म तराज़ू तोला है।
. . . .नवनीत गोस्वामी
अहमदाबाद (गुजरात)