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हिन्दू मुस्लिम करते करते ,
बाँट दिया संसार को !
जो बचपन में सीखा करते ,
भुला दिया हर बात को !
"सर्व धर्म सदभाव " नहीं दिलों में ,
ना समझे कोई जज़्बात को !
मूरत की चाहत में मारा,
अपने भीतर के इंसान को !
दिखने में सब मानुष ही लगते ,
पर अंदर बारूद का गोला है।
एक धर्म खतरे में है ,
ऐसा "किसी" ने बोला है।
आज सुरक्षा का हमको ,
नया मापदण्ड बतलाया।
बाकी कमतर , हम बेहतर हैं,
ऐसा भी हमको सिखलाया।
दाव पे है उसकी जान ,
जो "जय श्री राम " ना बोला है !
तिलक है श्रद्धा , तुच्छ है टोपी,
सब धर्म तराज़ू तोला है।
. . . .नवनीत गोस्वामी
अहमदाबाद (गुजरात)
Amazing.... Too good.
जवाब देंहटाएंDhanyvaad !🙏
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