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रविवार, अगस्त 09, 2020

धर्म

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हिन्दू मुस्लिम करते करते ,

    बाँट दिया संसार को !

जो बचपन में सीखा करते ,

    भुला दिया हर बात को !

"सर्व धर्म सदभाव " नहीं दिलों में ,

    ना समझे कोई जज़्बात को !

मूरत की चाहत में मारा,

    अपने भीतर के इंसान को !

दिखने में सब मानुष ही लगते ,

    पर अंदर बारूद का गोला है। 

एक धर्म खतरे में है ,

    ऐसा "किसी" ने बोला है। 

आज सुरक्षा का हमको ,

    नया मापदण्ड बतलाया। 

बाकी कमतर , हम बेहतर हैं,

    ऐसा भी हमको सिखलाया। 

दाव पे है उसकी जान ,

    जो "जय श्री राम " ना बोला है !

तिलक है श्रद्धा , तुच्छ है टोपी,

    सब धर्म तराज़ू तोला है। 

                 . . . .नवनीत गोस्वामी 

                 अहमदाबाद (गुजरात)



    

    


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