शुभ दीपावली
आशाओं के दीप जगा के,
आओ बना दे इक ऐसी कड़ी ,
हर शब्द बने मिसरी के जैसा,
मुस्कान बने फूलों की झड़ी !!
काम क्रोध लोभ का अंधिआरा,
छोड़ के पल्ला भागे फिरे,
जब सुनेगा हर इक कोने से,
खनखनाती हँसी की लड़ी !!
हर मन मे मंगल हो !
दिन रात भी हो मंगलमय !
ना हो बैर भाव का अँधेरा,
सबका जीवन हो सुखमय !
दीप जगे हर कोने में !
हो जाए जहाँ यू रोशन !!
मन उजिआरा हो जाए तो !
घर भी रोशन, जग भी रोशन !!
!! शुभ दीपावली !!
नवनीत गोस्वामी
आओ बना दे इक ऐसी कड़ी ,
हर शब्द बने मिसरी के जैसा,
मुस्कान बने फूलों की झड़ी !!
काम क्रोध लोभ का अंधिआरा,
छोड़ के पल्ला भागे फिरे,
जब सुनेगा हर इक कोने से,
खनखनाती हँसी की लड़ी !!
हर मन मे मंगल हो !
दिन रात भी हो मंगलमय !
ना हो बैर भाव का अँधेरा,
सबका जीवन हो सुखमय !
दीप जगे हर कोने में !
हो जाए जहाँ यू रोशन !!
मन उजिआरा हो जाए तो !
घर भी रोशन, जग भी रोशन !!
!! शुभ दीपावली !!
नवनीत गोस्वामी
बोत वधिया लिखिय है जी...त्वाडा जवाब नहीं...दिवाली दियां लख लख वधाईयां....
ReplyDeleteनीरज