आशाओं के दीप जगा के,
आओ बना दे इक ऐसी कड़ी ,
हर शब्द बने मिसरी के जैसा,
मुस्कान बने फूलों की झड़ी !!
काम क्रोध लोभ का अंधिआरा,
छोड़ के पल्ला भागे फिरे,
जब सुनेगा हर इक कोने से,
खनखनाती हँसी की लड़ी !!
हर मन मे मंगल हो !
दिन रात भी हो मंगलमय !
ना हो बैर भाव का अँधेरा,
सबका जीवन हो सुखमय !
दीप जगे हर कोने में !
हो जाए जहाँ यू रोशन !!
मन उजिआरा हो जाए तो !
घर भी रोशन, जग भी रोशन !!
!! शुभ दीपावली !!
नवनीत गोस्वामी
कविता लिखना - अभिव्यक्ति का दूसरा नाम है और इस ब्लॉग पर आपको पक्का देखने को मिलेगी। जो बात हमारे अंतर्मन को छू जाए, चाहे वो किसी भी तरीके से व्यक्त कि गयी हो, बस वही "perfect way of expression " है। हम नवरस के बारे मे तो जानते है : यथो हस्त तथो दृष्टि - जहाँ हाथ, वहां दृष्टि ! यथो दृष्टि तथो मनः - जहाँ दृष्टि ,वहां मन/मष्तिष्क ! यथो मनः तथो भाव - जहाँ मन/मष्तिष्क वहां भाव (inner feelings )! यथो भाव तथो रस - जहाँ भाव होगा , वहां ऱस ! इस ब्लॉग पर आप इन सब तरह के भावों से मुखातिब होंगे।
बोत वधिया लिखिय है जी...त्वाडा जवाब नहीं...दिवाली दियां लख लख वधाईयां....
जवाब देंहटाएंनीरज