बेहतर से बेहतर
अमेरिका से प्रवासियों की वापसी और उनकी मज़बूरी को बताती यह कविता मन में एक सवाल को जन्म देती है। पढ़ें बेहतर ज़िन्दगी की तलाश की कहानी। आजकल समाचार पत्रो में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प काफी सुर्खियाँ बटोर रहे है। अवैध तरीके से अमरीका पहुंचे, दूसरे देशों के प्रवासी लोग अब अमरीका में बसेरा नहीं कर सकते। ये चार पंक्तियाँ आपकी नज़र -
इंसान ढूंढता है बेहतर !
जो हाथ में रहा,
वो सोचता है, है कमतर।
या फिर ऐसा रहा होगा
कि मजबूर होगा
यूँ घर के लिए, घर को छोड़ना
ऐसी तो नहीं रही, किसी की हसरत।
कभी कभी
इंसान छोड़ता है बेहतर
क्यूंकि चाहिए "बेहतर से बेहतर"
. . . नवनीत गोस्वामी / 7 th Feb 2025
कविता का संदर्भ
यह कविता न सिर्फ प्रवासियों के संघर्ष को बयां करती है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि क्या बेहतर जिंदगी की तलाश वाकई इतनी कठिन होनी चाहिए?
आपकी राय
एक बात तो सही है कि किसी के घर में कोई अवैद्य तरीके से घुस जाए और रहने लगे तो उस घर के लिए ठीक नहीं है मगर कोई भी कार्य हो, मानवता का धर्म नहीं छोड़ना चाहिए। आप क्या सोचते हैं? क्या प्रवासियों को deport करने के process के दौरान मानवता भरे तरीकों की अपेक्षा की जा सकती है ? अपनी राय नीचे कमेंट में साझा करें।
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