शायरी टाइम
"शायरी टाइम" : छोटे -छोटे पल
किसी ने अर्ज़ किया है -
"उसकी गली मुझको जाना नहीं ,
हाल क्या है ? ये भी उसको बताना नहीं।
इंतज़ार है मुझे उस दिन का, कि जब वो कहे "मैं हूँ "
तब मैं कहूं "जी ! पहचाना नहीं। "
"उसकी गली मुझको जाना नहीं ,
हाल क्या है ? ये भी उसको बताना नहीं।
इंतज़ार है मुझे उस दिन का, कि जब वो कहे "मैं हूँ "
तब मैं कहूं "जी ! पहचाना नहीं। "
. . . किसी की कलम से।
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