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गुरुवार, मार्च 21, 2024

कविता दिवस / World Poetry Day . . . . 21 मार्च 2024

World Poetry Day . . . . 21 मार्च 2024  


ज़िन्दगी तेरे तहखानों से 

चुपके से, ये जो यादें निकलती है,

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कभी आँगन में मेरे ख़ुशी बन 

तो कभी उदासी बन पसरती हैं। 

जीवन के खाली पैमानों में,

रिश्तों की मिठास, और कभी 

बेवफाई की खटास से भरती हैं।   

कितने ही रंगो में रंगा इनको,

लफ़्ज़ों के लिबासो में समेटा इनको।

पन्नो पे परोसा है।  

और भरोसा है। 

मेरे अफसानों को भी 

इक दिन, पढ़ेगा कोई।

मेरी कविताओं से तारुफ़ 

करेगा कोई। 

                   . . . . नवनीत गोस्वामी 

                            21 मार्च 2024.   


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