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गुरुवार, फ़रवरी 15, 2024

तू अपनी खूबियां ढूँढ

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Navneet Goswamy
तू अपनी खूबियां ढूँढ, 

खामियाँ निकालने के लिए लोग है ना। 

अगर रखना है कदम तो आगे रख,

पीछे खींचने के लिए लोग है ना। 

सपने देखने है तो ऊँचा देख,

नीचा दिखाने के लिए लोग है ना। 

तू अपने अंदर जूनून की चिंगारी भड़का,

जलने के लिए लोग है ना। 

प्यार करना है तो खुद से कर,

नफरत करने के लिए लोग है ना। 

तू अपनी एक अलग पहचान बना,

भीड़ में चलने ले लिए लोग है ना। 

तू कुछ कर के दिखा दुनिया को,

तालियाँ बजाने के लिए लोग है ना। 


ये बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ हैं। कमाल की बात ये है कि ये हिंदी की कविता है, लेकिन मैंने पहली बार इसे सुना पाकिस्तान की अदाकारा रीमा खान की बदौलत।  पाकिस्तान का एक टॉक शो है , जिसमें रीमा खान जी बतौर  guest आयीं थी और वहाँ उस show में एक सवाल के जवाब में उन्होंने ये कविता सुनाई थी। 

जो लोग समाज के कुछ मुट्ठी भर लोगों के कहने भर से हताश हो कर अपनी कोशिशों पर फुल स्टॉप लगा देते है,  उनके लिए ये कविता, उनकी कोशिशों की रुकी गाड़ी को धक्का लगाने का काम कर सकती है।  

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                                                             नवनीत गोस्वामी 

                                                                

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