जीवन जीने के दो रास्ते
खुदगर्जी में या दूजे के वास्ते ।
सुकून मिलेगा दोनो में हीं
मगर खुलेंगे फिर, दो और रास्ते
उस डर से मानुष भ्रमित है रहता
किधर चलूं ? ताउम्र ये कहता
मतलब भी तो समझ ना पाता
चक्रव्यूह में फंस के रह जाता
आत्म सुख की चुनो वो राह
जिसमें न अटकी हो, किसी की आह
फिर किसी चक्र में, ना फसोगे भाई
बेदाग रहेगी चूनर, जो मालिक से पायी
Navneet Goswamy
5 जनवरी 2024,
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