साथी सफर के
कारवां चलते गए
एक एक कर,
हम भी उसमें जुड़ते गए,
भीड़ का हिस्सा बने
तब से , खुद की हम कब सुने ?
साथी कितने भी हो साथ में,
मगर सब अकेले ही चले
अपनी मंज़िलों की तलाश में !
राह में सबकी , इक दिन
मोड़ वो आ जायेगा !
एक एक जैसे जुड़ा था,
बस उसी तरह,
छोड़ कर वो जाएगा !
सफर जितना भी हो लिखा,
और जिसके संग हो लिखा
आनंद रास्तों का लें गर
सफर आसानी से कट जायेगा !
नवनीत / 31 मई 2023
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