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गुरुवार, जून 01, 2023

शादी का घर

आँगन सजा है 

क्या बंधा समां है 

इधर - उधर से लोग जमा है !


यही है असली काम रिश्तों का 

देखो महफ़िल में 

क्या रंग भरा है !


माई व्यस्त सत्कारों में 

उसके खोये दिन - रैन यहाँ, 

संगीत में उसको लिया बैठा 

पर उसके दिल को चैन कहाँ 


देख नाचती अपनी लाडो को 

टकटकी लगाए निहारे माँ !

छोटी छोटी ऐसे ही पलों को 

अपने दिल में वो कर रही जमां !!


ऐसी प्यारी रीतों को अब 

कहाँ ढूढ़ने जाए ?

ढोल और ढोली कहाँ मिलेंगे ?

ये हंसी ठिठोली कहाँ मिलेंगे ?

लुप्त सी होती इन रीतों को 

आओ कर दे फिर से जवां !!  

         नवनीत / 31 मई 2023 



 

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