शादी का घर
आँगन सजा है
क्या बंधा समां है
इधर - उधर से लोग जमा है !
यही है असली काम रिश्तों का
देखो महफ़िल में
क्या रंग भरा है !
माई व्यस्त सत्कारों में
उसके खोये दिन - रैन यहाँ,
संगीत में उसको लिया बैठा
पर उसके दिल को चैन कहाँ
देख नाचती अपनी लाडो को
टकटकी लगाए निहारे माँ !
छोटी छोटी ऐसे ही पलों को
अपने दिल में वो कर रही जमां !!
ऐसी प्यारी रीतों को अब
कहाँ ढूढ़ने जाए ?
ढोल और ढोली कहाँ मिलेंगे ?
ये हंसी ठिठोली कहाँ मिलेंगे ?
लुप्त सी होती इन रीतों को
आओ कर दे फिर से जवां !!
नवनीत / 31 मई 2023
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