मेरी तलाश
Painting : Thomas Doughty
उम्मीद, आस और तलाश
अब शायद यही है मेरे पास
अब तो इन दरख्तों को भी मालूम है
मेरे आने का सबब !
हिल उठते है हवा के झोंको से
"ना " के जवाब में ये सब !
नदिया ने भी अब ख़ामोशी सी ओढ़ी है,
एक ही जवाब कहने से, जैसे तौबा कर ली है !
लगता है कि जैसे थक से गए हैं ये सब,
और सोचते होंगे कि आखिर ऐसा चलेगा कब तक ?
बिना झपके पलक, राह टोहती, बाट जोहती मेरी आँखे
दूर तलक मैदानों में , कभी पहाड़ो की ऊंचाई में
और कभी ढूँढू वो खुशबु तेरी, उस पार से आती पुरवाई में !
मगर मैं भी ये जानता हूँ कि
उम्मीद पे कायम है ये दुनिया और
इक दिन तुझे भी होगा मेरी चाहत का एहसास !
बस इसी उम्मीद से जारी है मेरी ये तलाश !
तू बसा है मेरे दिल में,
और दिल की आवाज़ पहुंचेगी तुझ तक मेरी जान
आज भले ही न सही , कल याद मेरी तुझे भी आएगी मेरी जान !
नवनीत गोस्वामी
30 मई 2023
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