सम्मान

 

नमस्कार ! आज आप सब को जान कर प्रसन्नता होगी कि मेरी एक रचना को "साहित्य संगम संस्थान - गुजरात इकाई " द्वारा सम्मान्नित किया गया है।  लिंक यहाँ प्रस्तुत है -

https://www.facebook.com/photo?fbid=788899428703280&set=g.820559168735062

यह रचना साहित्य संगम संस्थान - गुजरात इकाई के दैनिक सृजन कार्यक्रम दिनांक १२/०१/२०२१ के तहत  प्रतियोगिता का हिस्सा बनने के लिए उपलब्ध करवाई गयी। खुशी इस बात की है कि यह कविता, प्रतियोगिता के मापदंडों पर खरी उतरी तथा श्रेष्ठ रचना के तौर पर इसका चुनाव किया गया। 


 
उम्मीद से भरी इक नज़र
देखती इधर - उधर ,
कर जरा अपनी तरफ
मंज़र ही बदल जाएगा !
आलम होगा ये, कि जो कहता था,
"अकेला हूँ " "ना कर पाऊंगा"
रूबरू जब होगा खुद से ,
सब खुद - ब - खुद कर जाएगा !!
उम्मीद से भरी इक नज़र
कर जरा अपनी तरफ
मंज़र ही बदल जाएगा !
खुद ही में खोकर,
खुद ही को तू पा जाएगा !
भरोसा जो, खुद-ही पे कर ले
हर मुक़ाम तू पा जाएगा !
उम्मीद से भरी इक नज़र
कर जरा अपनी तरफ
मंज़र ही बदल जाएगा !
"आत्म" संग "विश्वास" मिलेगा
मंज़िल की राहें, तू खुद बुनेगा !
इक ये जहाँ ही नहीं , तेरे सजदे में
आसमाँ भी सर झुकायेगा !
उम्मीद से भरी इक नज़र
कर जरा अपनी तरफ
मंज़र ही बदल जाएगा !
जब कोई साथ ना मिले
और कोई संग ना चले,
उम्मीद से लग के गले
दरिया भी तू तर जाएगा
उम्मीद से भरी इक नज़र
देखती इधर उधर,
कर जरा अपनी तरफ
मंज़र ही बदल जाएगा !

...नवनीत गोस्वामी
अहमदाबाद (गुजरात)


बस माँ शारदा से प्रार्थना है कि मुझे और मेरी कलम पे अपना आशीर्वाद सदा बनाये रखे, अच्छा सोचे और अच्छा सृजन करें।  धन्यवाद्।  



नवनीत गोस्वामी 




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