प्रश्न


प्रश्न 

है प्रश्न मेरा उन संस्कारों से, 

समाज के ठेकेदारों से,

धर्म के उन सरदारों से,

क्यों अख़बार भरा चित्कारों से ?

क्यों डर लगता है अंधियारों से ?

क्यों रह गयी बेटी नारों में ?

और समाज मेहरबां गुनहगारों पे !


              . . .  नवनीत गोस्वामी 


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