स्मृति
स्मृति
हिंदी काव्य कोश
साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता
विषय::स्मृति
दिनांक:19 /11/2020
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जटिल परिस्थिति, या हो सरल !
घर का इक कोना
और फुरसत के दो पल !
तब दिल की तहों से उभरती यादें,
महकाती, मेरा स्मृतिपटल !
कुछ यादें मेरे घर से,
तेरे घर तक जाती हैं !
उसी मोहल्ले और गलियों से,
कुछ खुशियाँ ढूंढ़ के लाती हैं
चहकाती मेरा स्मृतिपटल !
छोटी - छोटी बातें बचपन की,
या यौवन का कोई किस्सा,
दिल संग दिल मिलते थे जहाँ ,
शहर का वो खाली हिस्सा
जहाँ ना डाले कोई ख़लल
असल जिंदगी से बहुत हसीं,
मेरा ये स्मृति - उपवन है।
वही रंग। वही महक।
और वही बरसता सावन है।
सावन की उन बूंदों में ,
यौवन कैसे गया मचल।
खट्टे - मीठे पलों का,
ये मिश्रण कहलाती है।
गर पाया हो जो मनभाया ,
स्मृतियाँ जुग - जुग गायी जाती हैं।
मन माफिक जो ना पाया,
बन "अनुभव " पथ बतलाती है।
और मुझे बनाती और सबल।
मेरे जीवन की स्मृतियाँ
मुझसे एक सा मान पाती हैं।
भले हंसाती या भले रुलाती,
मेरे खालीपन की साथी हैं।
संग रहती मेरे पल - पल।
माना मेरी स्मृतियों से जुदा,
वर्तमान परिवेश है।
मगर मेरी स्मृतियों का दर्जा,
मेरी नज़र में विशेष है।
स्मृतिपटल के पन्नों पे अभी,
नई स्मृतियाँ जुड़ना शेष है।
नवनीत गोस्वामी
अहमदाबाद (गुजरात)
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