बचपन बाल दिवस की शुभकामनायें (मेरी रचनाएँ #20)
बाल दिवस की शुभकामनायें
कितना चंचल, कितना मासूम
बचपन को नहीं मालूम।
बचपन ना मांगे महंगे खिलौने
देखे वो तो सपन सलोने।
उन में ही वो रहता खोया
कभी हँसा और कभी वो रोया।
कुछ भी और गर नहीं वो पाए,
एक - दूजे के साथ में खुश है।
भरा समंदर या बारिश का पानी,
कागज की नाव बहा कर खुश है।
लहरों संग लेते हिचकोले
पानी किनारे घर - घर खेलें।
चंचल, चपल, निर्भय, मासूम,
उस पर जिज्ञासा भी भरपूर।
आज भी जिस मन रहे ये भाव
वो नहीं गया बचपन से दूर।
रंग रूप और जाट पात से
इनका कोई नहीं सरोकार।
बिना स्वार्थ के मिलते सबसे
सबसे एक समान व्यव्हार।
नवनीत गोस्वामी / 02 जून 2023
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