दशहरा
राम की शक्ति पूजा को,
आखिर तो रंग लाना ही था।
बुरे पर अच्छे का परचम,
उसको तो फहराना ही था।
स्वयं दशानन, भगवन से कह गया ,
वो तो बस अहंकार में बह गया।
सन्देश ये विजया दशमी का,
एक मूल मंत्र बतलाता है।
जो नेक भये , तिन पाये राम,
जो भये बुरे , हुए जल भस्म यहाँ
. . . नवनीत
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