जरूरी काम
आदम कहे ख़ुदा से -
उसकी मरूधर में भी गंगा है !
मुझे तू ले चल अपने संग,
रंग के मुझे अपने ही रंग !!
खुदा ने कहा -
रुबाई तेरी अब तक़ अधूरी है !
क़बूल न होगी जब तक,
तेरी खुद से खुद की दूरी है !!
खुद ही से मिल,
कर खुद से पहचान !
बाकी सब छोड़
ये है सबसे ज्यादा ज़रूरी काम !!
. . . . नवनीत
Satya vachan
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