दिनकर दिवस
"दिनकर दिवस" - 23 सितम्बर
आज हमारे देश का परिदृश्य देख कर महाकवि रामधारी सिंह दिनकर जी के बगावती तेवर से भरी पंक्तियाँ याद आती है। आज देश उनका जन्म - दिवस भी मना रहा है और भूमिपुत्र, अन्नदाता किसान सड़क पर उतरे नज़र आते है। वो पंक्तियाँ मै बाद में शेयर करती हूँ और सबसे पहले दिनकर जी के जन्म -दिवस जिसे मै "दिनकर - दिवस " कहना चाहूँगी , की शुभकामनायें। मेरी कुछ पंक्तियाँ महाकवि को समर्पित -
गौरव भारत वर्ष का जो ,
हम बड़े हुए, जिनको सुनकर !
महाकवि, कविराज हमारे
श्री रामधारी सिंह दिनकर !
. . . . . नवनीत
किसान जो अपने अधिकार और नए बिल को लेकर सड़क पर उतरे है उनके लिए दिनकर जी द्वारा लिखी पंक्तियाँ : -
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है ,
दो राह , समय के रथ का घर्घर -नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो , कि जनता आती है !!
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