आज बहुत समय बाद जब ये पिक्चर फेस बुक में देखा तो इतनी खुश हुई की बता नहीं सकती . क्यूंकि ये तस्वीर मुझे मेरे बचपन के दिनों में घुमाने ले गयी . तब मै जैतसर फार्म कॉलोनी में रहती थी , और बारिश के दिनों में रैत के टीलों में न जाने कहाँ से ये सुर्ख लाल , नरम बिलकुल वेलवेट जैसी ये चींटियाँ कहाँ से आ जाती थी। .आज जैसे ही मैंने ये तस्वीर देखी तो मुझे वही दिन, वही बारिश के बाद की मिटटी की गीली गीली खुशबू याद आ गयी !
इन्हें छत्तीसगढ़ में 'रानी कीड़ा' , ओडीशा में 'साधव बाव', उत्तर भारत के अनेक भागों में 'भगवान की बुढ़िया', तेलुगु में 'अरुद्र', तमिल में 'पट्टु पापाती' कहते हैं। इसका scientific नाम है Trombidiidae.
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