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शनिवार, अप्रैल 20, 2024

लोकतंत्र का पावन त्यौहार



अठरां की है गर उम्र तुम्हारी 
तो, मत देने की आयी बारी। 
ये संविधान ने दिया तुम्हें अधिकार 
लोकतंत्र का पावन त्यौहार 
5 वर्ष में आता इक बार। 

"वोटर कार्ड" अपना बनवाना, 
इसके लिए कहीं न जाना।  
चुनाव आयोग की वेबसाइट पे जाओ 
घर बैठे e - voter card बनवाओ 
Digital भारत का देखो विस्तार। 
लोकतंत्र का पावन त्यौहार 
5 वर्ष में आता इक बार। 

यहाँ पे रैली , वहाँ पे रैली,
और होगा शोर शराबा 
साम, दाम और दंड चलेगा 
कहीं भेदों का होगा खुलासा। 
आज कल तो, पलड़ा भारी जिधर को देखा, 
नेताओं ने पलटा पासा 
घर भी तुम्हारे आएंगे 
किस चिन्ह का बटन दबाना है 
ये तुमको बतलायेंगे। 
मग़र। सावधान। 
तुमको ही सुनिश्चित करना होगा 
क्या हो तुम्हारे "मत" का आधार ?
लोकतंत्र का पावन त्यौहार 
5 वर्ष में आता इक बार। 

अगल बगल, ना तुम झाँको,
अपने "मत" की ताकत पहचानो। 
पूरी प्रक्रिया को तुम जानो,
बस अपने विवेक की ही मानो। 
Insta, FB के poll नहीं ये,
इसलिए 
करना गहन सोच विचार। 
क्यूंकि तुम चुनोगे देश की सरकार 
लोकतंत्र का पावन त्यौहार 
5 वर्ष में आता इक बार। 

              . . . नवनीत गोस्वामी /4th अप्रैल 2024 


मंगलवार, मार्च 26, 2024

कहीं देर न हो जाए - लद्दाख

 "कहीं देर न हो जाए" - लद्दाख 


जुले ! नमस्कार ! 6th March 2024 को श्री सोनम वांगचुक अनशन पर बैठे। आज 26 मार्च 2024 है।  उनके मुद्दे दो तरह के है - संवैधानिक और इकोसिस्टम से सम्बंधित।  मै लदाख जा चुकी हूँ घूमने के लिए।  बहुत ही खूबसूरत जगह है।  इसीलिए उनके द्वारा उठाये मुद्दे जैसे  जन जातीय सुरक्षा, खनन, वातावरण की सुरक्षा, लोकल रोज़गार आदि हेतु मैं सहमत भी हूँ।  इन पर बात होनी चाहिए। आपकी क्या राय है, नीचे दिए गए वीडियो को देख कर , कमेंट बॉक्स में बताये। 

ये वीडियो आप देख सकते हैं। 



गुरुवार, मार्च 21, 2024

कविता दिवस / World Poetry Day . . . . 21 मार्च 2024

World Poetry Day . . . . 21 मार्च 2024  


ज़िन्दगी तेरे तहखानों से 

चुपके से, ये जो यादें निकलती है,

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कभी आँगन में मेरे ख़ुशी बन 

तो कभी उदासी बन पसरती हैं। 

जीवन के खाली पैमानों में,

रिश्तों की मिठास, और कभी 

बेवफाई की खटास से भरती हैं।   

कितने ही रंगो में रंगा इनको,

लफ़्ज़ों के लिबासो में समेटा इनको।

पन्नो पे परोसा है।  

और भरोसा है। 

मेरे अफसानों को भी 

इक दिन, पढ़ेगा कोई।

मेरी कविताओं से तारुफ़ 

करेगा कोई। 

                   . . . . नवनीत गोस्वामी 

                            21 मार्च 2024.   


शुक्रवार, मार्च 08, 2024

महाशिवरात्रि और अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की आप सब को शुभकामनाएँ। महिला, नारी अर्थात "शक्ति"। संयोग की बात है आज हम सब महाशिवरात्रि भी मना रहे है।  शिव और शक्ति दोनों साथ: क्या बात है।  

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शिव के बिना, शक्ति नहीं। 

और शक्ति के बिन, सृष्टि नहीं। 

महाशिवरात्रि और अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएँ। 

                                                                                   

                                                                                                                            . . . नवनीत गोस्वामी 

                                                                                                                                 8 मार्च 2024 


गुरुवार, फ़रवरी 22, 2024

रेडियो के दिन : अमीन सायानी के संग

Radio ke din : #AmeenSayani ke sang RIP

मेरे लिए all India Radio मतलब अमीन सयानी जी।  गीतमाला कार्यक्रम तो जाना ही उनके नाम जाता था। 

रेडियो और वो सब, जिन्होंने आपको सुना है आपके जाने की खबर सुन कर, आज फिर से आपको सुना होगा।

सबके ज़हन में आपकी आवाज़ और वो माहौल फिर से ताज़ा हुआ होगा।  

https://youtube.com/clip/UgkxtUfvEDHus9Se7AsihJwJuu4LSijlc6V9?si=Mw5hzDOhCkei0OVe


जो कभी रौनक थे रेडियो की
आज खामोशी से रुखसत हो गए।
सब तो रूबरू नहीं हुए होंगे आपसे,
मगर फिर भी आंखे सब की नम कर गए।


. . . RIP अमीन सयानी साहब . . .

21/02/2024





गुरुवार, फ़रवरी 15, 2024

तू अपनी खूबियां ढूँढ

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Navneet Goswamy
तू अपनी खूबियां ढूँढ, 

खामियाँ निकालने के लिए लोग है ना। 

अगर रखना है कदम तो आगे रख,

पीछे खींचने के लिए लोग है ना। 

सपने देखने है तो ऊँचा देख,

नीचा दिखाने के लिए लोग है ना। 

तू अपने अंदर जूनून की चिंगारी भड़का,

जलने के लिए लोग है ना। 

प्यार करना है तो खुद से कर,

नफरत करने के लिए लोग है ना। 

तू अपनी एक अलग पहचान बना,

भीड़ में चलने ले लिए लोग है ना। 

तू कुछ कर के दिखा दुनिया को,

तालियाँ बजाने के लिए लोग है ना। 


ये बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ हैं। कमाल की बात ये है कि ये हिंदी की कविता है, लेकिन मैंने पहली बार इसे सुना पाकिस्तान की अदाकारा रीमा खान की बदौलत।  पाकिस्तान का एक टॉक शो है , जिसमें रीमा खान जी बतौर  guest आयीं थी और वहाँ उस show में एक सवाल के जवाब में उन्होंने ये कविता सुनाई थी। 

जो लोग समाज के कुछ मुट्ठी भर लोगों के कहने भर से हताश हो कर अपनी कोशिशों पर फुल स्टॉप लगा देते है,  उनके लिए ये कविता, उनकी कोशिशों की रुकी गाड़ी को धक्का लगाने का काम कर सकती है।  

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                                                             नवनीत गोस्वामी 

                                                                

मंगलवार, जनवरी 09, 2024