इंसान कौन सी परिस्थितियों में क्या बन जाये पता नहीं, जैसे हम है ; हमें ज़रा सा दर्द हुआ कि हम कवित्री बन गए (मजाक है ) दो दिनों से एक छोटे से छाले ने हमें परेशान कर रखा है, उसी का दर्द पन्नो पे उतारा है:-
सुनो सुनो इक बात सुनाये ;
सुनिए बात हमारी !
अधरों पे निकला इक छाला;
ये है व्यथा हमारी !
पहले था यह नन्हा सा;
दिया नहीं कुछ उसपे ध्यान !
पान के गल्ले पे जा खाया;
छाले वाला पान !
पर एक रात में नन्हे ने
कर दिया हमें परेशान!
पहले दिन था कण के जितना ;
अब हुआ चाँद का duplicate !
हम सोचें ये हुआ हमें क्यूँ ?
साफ़ हैं रखतें अपना पेट !
सुबह हुई चले हम दफ्तर ;
जहाँ काम करतें नहीं अक्सर !
जताएं ऐसे ,जैसे बहुत है काम ;
और इसके कारण आज आराम !
घंटी बजी फोन कि हाय ;
मुहं से कुछ ना बोला जाये !
फोन लिया भाई अंकुर बोले;
काहे N P कम कम बोले !
हाल है क्या उनको भी कह डाला ;
मुख गुहा में हमारी ;
इक दर्द है पाला ;
अधरों पे निकला इक छाला !
सुनकर बोले अंकुर भाई ;
तुम्हे बताऊ एक दवाई !
जिसने हरा दर्द हमारा ;
दो बूँद पियो तुम "अमृतधारा"
औषधी है ये राम बाण ;
जिसने किया सबका कल्याण !
* अंकुर भाई हमारे भाईसाहब है.
* हमारे घर में हमें N . P . यानी Navneet Puttar के नाम से पुकारा जाता है .
कविता लिखना - अभिव्यक्ति का दूसरा नाम है और इस ब्लॉग पर आपको पक्का देखने को मिलेगी। जो बात हमारे अंतर्मन को छू जाए, चाहे वो किसी भी तरीके से व्यक्त कि गयी हो, बस वही "perfect way of expression " है। हम नवरस के बारे मे तो जानते है : यथो हस्त तथो दृष्टि - जहाँ हाथ, वहां दृष्टि ! यथो दृष्टि तथो मनः - जहाँ दृष्टि ,वहां मन/मष्तिष्क ! यथो मनः तथो भाव - जहाँ मन/मष्तिष्क वहां भाव (inner feelings )! यथो भाव तथो रस - जहाँ भाव होगा , वहां ऱस ! इस ब्लॉग पर आप इन सब तरह के भावों से मुखातिब होंगे।
N. P. = Family members call me N.P. (Navneet Puttar) !
जवाब देंहटाएंमुख के छाले पर जीवन में पहला पद्य पढ़ा है ! कष्ट का भी आनंद लिया जा सकता है , पढ़ कर पता चला ...आप हमेशा स्वस्थ्य रहे मस्त रहे और लिखती रहें !! मेरी शुभकामनाये��
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